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छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाला मामले में सीबीआई को प्रारंभिक जाँच के लिए अनुमति का इंतज़ार

राज्य सरकार के पास महीनों पहले आ चुका पत्र।राज्य सरकार से सक्षम कार्यालय भेजा गया।सक्षम कार्यालय से जवाब का इंतज़ार है सीबीआई को।

टॉप न्यूज़
By: याज्ञवल्क्य
16 June 2024
छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाला मामले में सीबीआई को प्रारंभिक जाँच के लिए अनुमति का इंतज़ार

Raipur,16 जून 2024। राज्य की राजनीति में विधानसभा चुनाव के समय अहम मुद्दा बने कथित पीएससी घोटाला मामले में सीबीआई को प्रारंभिक जाँच करने के लिए अनिवार्य औपचारिक अनुमति का इंतज़ार है। सूत्र बताते हैं कि,प्रारंभिक जाँच की आवश्यक अनुमति के लिए पत्र सक्षम कार्यालय भेज दिया गया है ।सूत्र कहते हैं कि, किसी भी समय सीबीआई के इस पत्र का जवाब जारी हो सकता है।

क्या है पत्र में
मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि,सीबीआई के उस पत्र में पीएससी मसले को लेकर राज्य सरकार को बताया गया है कि, प्रीलिमिनरी इंक्वारी ( प्रारंभिक जाँच ) लिए आवश्यक अनुमति अपेक्षित है। सीबीआई का यह राज्य सरकार के पास पहुँचे लंबा वक्त हो चुका है। सूत्र यह भी दावा करते हैं कि, राज्य सरकार की संबंधित इकाई जो कि, इन पत्रों का व्यवहार करती है, उस इकाई ने पत्र उस सक्षम कार्यालय को रवाना कर दिया है जहां से प्रारंभिक जाँच के लिये अनुमति मिलना अनिवार्य है।

किस अनिवार्य औपचारिकता को पूरा करना है
सीबीआई जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत कार्यवाही करेगी और यदि संदेही अथवा आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा स्तर का अधिकारी है तब अभियोजन के पूर्व अनुमति की प्रक्रिया जटिल होने के साथ साथ व्यापक भी है।इसमें अतिरिक्त क़ानूनी प्रावधान और नीतियाँ शामिल हैं।

क्या है प्रक्रिया
भ्रष्टाचार के मामले में आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जबकि सीबीआई को कार्यवाही करना है तो उसकी निश्चित और व्यापक प्रक्रिया है। सीबीआई निम्न प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्यकारी है -
1- प्राथमिक जाँच - जब कभी आईएएस अधिकारी के खिलाफ शिकायत मिले या कि संदेह हो तो प्राथमिक जाँच होगी।
2 - प्राथमिक जाँच के लिये अनुमति नियोक्ता अथवा नियोक्ता की ओर से प्राधिकृत ही देगा।
3- रिपोर्ट तैयार करना - जबकि प्रारंभिक जाँच की अनुमति मिल जाएगी तब जाँच अधिकारी जाँच पूरी कर एक रिपोर्ट तैयार करेगा।
4-  सीबीआई आवेदन देगी - यदि जाँच रिपोर्ट में शिकायत प्रमाणित पाई जाती है तो अभियोजन के लिए संबंधित प्राधिकारी को सीबीआई आवेदन करेगी।
5- समीक्षा और निर्णय - ऐसा भी अंतिम रूप से नहीं है कि, जब सीबीआई प्रारंभिक जाँच में आईएएस अधिकारी को दोषी पा लें तो उसे तत्काल अभियोजन की अनुमति मिलेगी। सीबीआई की प्रारंभिक जाँच की समीक्षा होती है और यदि वह संतुष्ट करने वाली हो तो उसके बाद संबंधित प्राधिकारी उस पर कार्यवाही की अनुमति देते हैं।
6- समीक्षा और अभियोजन की अनुमति कौन देगा - जबकि प्रारंभिक जाँच में आईएएस अधिकारी दोषी पाया जाए तो समीक्षा केंद्रीय सतर्कता आयोग और संबंधित राज्य या केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।

ये दो मसले समझ लीजिए
भ्रष्टाचार के मसले पर जबकि सीबीआई जाँच करेगी तो जाँच के दो चरण हैं। पहला है प्राथमिक जाँच जिसे प्रीलिमनरी इंक्वारी कहा जाता है और दूसरा है अभियोजन।जो कि इन्वेस्टिगेशन की श्रेणी में आएगा। दोनों ही मसलों प्रीलिमनरी इंक्वारी और इन्वेस्टिगेशन में सीबीआई को अनुमति चाहिए। दोनों ही मसलों में अनुमति अलग अलग प्राधिकार से प्राप्त होगी। सरल शब्दों में सीबीआई को इस समय कथित पीएससी घोटाला में इंक्वारी के लिए सक्षम प्राधिकारी की अनुमति का इंतज़ार है।

क्या है मसला

राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में PSC के माध्यम से की गई थी कि इन भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।राज्य के बारह विभागों के लिए 170 पदों पर चयन सूची जारी की गई थी।इस चयन सूची में आरोप लगा कि अधिकारियों ने जिनमें जिनमें PSC के तत्कालीन अध्यक्ष समेत कई प्रभावशाली लोग और कुछ आईएएस शामिल थे।उनके रिश्तेदारों को ग़लत तरीक़े से नियुक्ति दी गई है भारतीय जनता पार्टी ने तब इस मामले को लेकर जमकर हंगामा बरपाया था।भारतीय जनता पार्टी के अनुषांगिक संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इस मसले को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन किया था।विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इस मामले का ज़िक्र करते हुए इसे प्रदेश के युवाओं के साथ बड़ा धोखा बताते हुए दावा किया था कि मामले में कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

एसीबी ने दर्ज की एफ़आइआर 

राज्य में सरकार बदलने के बाद राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो मैं ने पीएसी मामले में एफ़आइआर दर्ज की जिसमें तत्कालीन PSC अध्यक्ष टाउन सिंह सोनवानी PSC के तत्कालीन सचिव जीवन किशोर थ्रू तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आयोग में पदस्थ अधिकारी एवं राजनेताओं के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो ने इस मामले में धारा 120बी,420 धारा 7,7(बी) और धारा 12 भ्रष्टाचार निवारण अभीनिवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया।इस मामले में अर्जुन्दा थाने में भी एक एफ़आइआर दर्ज कराई गई थी।यह मामला बाद में CBI को ट्रांसफर किए जाने की जानकारी मुख्य मंत्री विष्णुदेव साय ने दी थी।

 

 

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