Raipur। सरगुजा में चल रहे हसदेव अरण्य बचाव आंदोलन स्थल को बीति रात अज्ञात व्यक्तियों ने जला कर राख कर दिया है। हसदेव अरण्य बचाव मंच के कार्यकर्ताओं ने इस घटना की तुलना हत्या से की है। सरगुजा पुलिस ने इस घटना को लेकर कहा है कि, अज्ञात के खिलाफ अपराध दर्ज जाँच की जा रही है।
क्या है मसला
सरगुजा कोरबा के बीच बेहद समृद्ध जंगल है। इसे हसदेव अरण्य कहा जाता है। दस बरसों से यहाँ खनन के विरोध में आंदोलन चल रहा है।यहाँ आंदोलन अब जंगल बचाने वालों और उत्खनन कंपनी अड़ानी के बीच जारी है। इस आंदोलन पर नज़र रख रहे लोग यह मानते हैं कि, सरकार हो या प्रशासन इनकी भुमिका अड़ानी के हितबद्ध पक्ष के रुप में रही है। भूपेश बघेल सरकार के समय आंदोलन के दबाव की वजह से हसदेव अरण्य का बेहद बड़ा हिस्सा लेमरु रिज़र्व के दायरे में आकर संरक्षित हो गया। लेकिन आदिवासी और ग्रामीणों की लड़ाई अभी जारी है। आदिवासी उत्खनन की अनुमति के लिए फ़र्ज़ी ग्राम सभा प्रस्ताव पास होने की शिकायत राज्यपाल से कर चुके हैं। हसदेव अरण्य बचाव के आंदोलनकारियों की माँग है कि इस फ़र्ज़ी प्रस्ताव को निरस्त करते हुए जाँच की जाए। लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।ग्रामीणों के दबाव में भूपेश सरकार के समय पेड़ कटाई रुक गई थी। विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार आते ही बग़ैर किसी पूर्व सूचना के आंदोलन से जुड़े लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया और तब ही छोड़ा जबकि खदान के लिए जरुरी जंगल कट गए। हसदेव अरण्य आंदोलन एक व्यापक पहचान रखता है।हरिहरपुर गाँव में ग्रामीण एक झोपड़ी बनाकर आंदोलन कर रहे हैं। होलिका दहन की रात जबकि धरना स्थल पर कोई नहीं था, अज्ञात लोगों ने धरना स्थल को जला दिया।
हसदेव अरण्य को लेकर विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित है
हसदेव अरण्य इलाक़े में कोई नया उत्खनन ना हो, बल्कि जंगल और पर्यावरण को जरा सा भी नुक़सान ना पहुँचे इसके लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित हुआ है। लेकिन इस संकल्प पारित होने के बावजूद बीजेपी सरकार आते ही पेड़ों की कटाई हो गई।
प्रशासन और अड़ानी कंपनी के खिलाफ FIR की माँग
बीते 750 दिनों से हरिहरपुर में चल रहे आदिवासियो के धरना स्थल को भले जला दिया गया हो लेकिन इससे आंदोलनकारियों के मनोबल पर रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा है। हसदेव अरण्य बचाव आंदोलन से जुड़े आदिवासियों ने धरना स्थल जलाए जाने की निंदा की है। इन आदिवासियों ने बयान जारी कर प्रशासन और अड़ानी कंपनी के खिलाफ एफ़आइआर दर्ज करने की माँग की है।
जारी रहेगा आंदोलन
छत्तीसगढ़ बचाव आंदोलन के आलोक शुक्ला जो कि हसदेव अरण्य बचाव आंदोलन के बेहद अहम किरदार हैं। उन्होंने कहा है -“देश में होलिका जली और हसदेव अरण्य में न्याय और अधिकार देने की जगह आंदोलन स्थल जला दिया गया है।यह लड़ाई यह आंदोलन यह संघर्ष प्रशासनिक अन्याय और अड़ानी कंपनी के खिलाफ है। गाँव उजाड़ने के लिए प्रशासन ने फ़र्ज़ी ग्राम सभा प्रस्ताव पारित कराया यह लड़ाई उसके ख़िलाफ़ है। लालच दुष्प्रचार और दमन कर के जब आंदोलन नहीं दबा पाए तो देर रात धरना स्थल ही जलवा दिया है।धरना जारी रहेगा अड़ानी की लूट नहीं चलेगी।”
पुलिस ने कहा -मामले की जाँच की जा रही है
इस घटना क्रम को लेकर सरगुजा पुलिस ने कहा है कि, मामले की जाँच की जा रही है। सरगुजा एसपी विजय अग्रवाल ने द हिट डॉट इन से कहा -“मामले में अज्ञात के खिलाफ अपराध क़ायम कर जाँच की जा रही है। फ़ॉरेंसिंक टीम से भी जाँच रिपोर्ट ली जाएगी।”
वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल ने किया ट्विट
प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल ने हसदेव अरण्य आंदोलन स्थल की जली हुई तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स ( पूर्व में ट्विटर ) पर पोस्ट की हैं।आलोक पुतुल ने लिखा है -" छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में अड़ानी के एमडीओ वाले कोयला खदानों के खिलाफ पिछले 750 दिनों से आदिवासी जहां धरना दे रहे थे, देर रात उस धरनास्थल को जला दिया गया।"