Bilaspur। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के द्वारा समय समय पर जारी न्याय दृष्टांतों को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला शहर के प्रार्थना सभा भवन में आयोजित की गई। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य के सभी 33 ज़िलों से चयनित 200 विवेचक शामिल हुए। इन विवेचकों को राज्य के महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत, अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष शुक्ला और उप महाधिवक्ता डॉ सौरभ कुमार पांडेय ने न्याय दृष्टांतों के आधार पर पुलिस कार्यवाही कैसे हो, इसका प्रशिक्षण दिया।
क्या थे प्रमुख न्याय दृष्टांत
सेमिनार में प्रमुख रुप से अर्नेश कुमार विरुद्ध बिहार सरकार,मोहम्मद आसिफ़ आलम विरुद्ध झारखंड राज्य और सुरेंद्र कुमार अंतिल विरुद्ध सीबीआई के प्रकरणों में आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को लेकर विवेचकों को विस्तार से समझाया गया। ये तीनों ही न्याय दृष्टांत सात वर्ष या कि उससे कम की सजा वाली धाराओं में पुलिस को गिरफ्तार करने पर विशेष निर्देश देते है।इन न्याय दृष्टांतों के आधार पर पुलिस के सामने यह विषय आ गया है कि, गिरफ़्तारी यदि करें तो किन अनिवार्य औपचारिकताओं को पूरा कर गिरफ्तारी की जा सकती है या बिल्कुल नहीं की जा सकती है। इन विषयों को लेकर ही महाधिवक्ता कार्यालय ने विवेचकों को विस्तार से जानकारी दी। महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने न्याय दृष्टांतों को विस्तार से समझाते हुए स्पष्ट किया कि जो भी गाइड लाईन न्याय दृष्टांत से उत्पन्न हो उसका अनुपालन किस तरह किया जाना है। उप महाधिवक्ता डॉ सौरभ कुमार पांडेय ने सेमिनार में संविधान की धारा 14 और 21 का ज़िक्र करते हुए उसका अध्ययन करने की सलाह दी है। उप महाधिवक्ता डॉ सौरभ कुमार पांडेय ने विवेचकों को समझाया कि क्रिमिनोलॉजी जस्टिस सिस्टम में साक्ष्य संकलन बेहद महत्वपूर्ण है, साथ ही गिरफ़्तारी के समय डाक्यूमेंटेशन याने अभिलेखों के सटीक संधारण की हिदायत दी।
न्याय दृष्टांतों का स्पेशल एक्ट में क्या असर
अर्नेश कुमार विरुद्ध बिहार सरकार,मोहम्मद आसिफ़ आलम विरुद्ध झारखंड राज्य और सुरेंद्र कुमार अंतिल विरुद्ध सीबीआई के प्रकरणों में शीर्ष अदालत के फ़ैसले आरोपी की गिरफ़्तारी को लेकर विशेष परिस्थिति के पालन किए जाने के निर्देश देते है। यह तीनों ही न्याय दृष्टांत मूलतः पुलिस के लिए सात वर्ष अथवा उससे कम की सजा वाली धाराओं में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल दाखिल करने की प्रक्रिया या कि आरोपी को लंबे समय तक जेल में निरुद्ध रखने में अवरोधक माने जाते है। इन न्याय दृष्टांतों को लेकर यह विषय विवेचकों ने पूछा कि जहां स्पेशल एक्ट है वहाँ इन न्याय दृष्टांतों का पालन कैसे किया जाना है। इस पर विवेचकों को यह बताया गया कि,स्पेशल लॉ अथवा एक्ट में यदि गिरफ़्तारी को लेकर विशेष निर्देश होंगे वहाँ एक्ट अनुसार कार्यवाही अपनाई जाएगी, लेकिन जहां स्पेशल एक्ट या कि लॉ है परंतु गिरफ़्तारी को लेकर विशेष निर्देश नहीं हों वहाँ इन न्याय दृष्टांतों के अनुरूप ही कार्यवाही होगी।
मास्टर ट्रेनर की भुमिका निभायेंगे कार्यशाला में आए विवेचक
पूरे राज्य के सभी तैंतीस ज़िलों से पहुँचे विशेष तौर पर चयनित विवेचकों ने इस एक दिवसीय सेमिनार में विषय को लेकर जो मार्गदर्शन लिया है, उस आधार पर वे अपने पदस्थापना ज़िलों में वापस जाकर मास्टर ट्रेनर की भूमिका निभाते हुए संबंधित ज़िलों के अन्य विवेचकों को प्रशिक्षित करेंगे।